हरियाणा के सोनीपत में अशोका यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी ने विश्वविद्यालय और आसपास के क्षेत्र में एक गंभीर माहौल पैदा कर दिया है। उनकी गिरफ्तारी ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग करने वालीं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद हुई है।
सरपंच की शिकायत बनी गिरफ्तारी का आधार
जठेड़ी गांव के सरपंच द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। सरपंच ने सोशल मीडिया पर प्रसारित एक पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें दो महिला सैन्य अधिकारियों और भारतीय सेना के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया था। सरपंच के अनुसार, यह पोस्ट सहायक प्रोफेसर महमूदाबाद द्वारा साझा की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
महिला आयोग की सख्त कार्रवाई
हरियाणा राज्य महिला आयोग ने इस मामले में तत्काल और कठोर रुख अपनाया। आयोग ने इस टिप्पणी का स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को औपचारिक शिकायत भेजी। आयोग ने मध्य प्रदेश में एक मंत्री के खिलाफ उच्च न्यायालय की टिप्पणी का उदाहरण देते हुए प्रोफेसर महमूदाबाद के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने बताया कि प्रोफेसर महमूदाबाद को आयोग के कार्यालय में पेश होने के लिए समय दिया गया था, लेकिन वह निर्धारित समय तक उपस्थित नहीं हुए। आयोग ने उन्हें सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक का समय दिया था, जिसके बाद आयोग ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।
प्रोफेसर का बयान महिलाओं का अपमान
महिला आयोग ने अपने आधिकारिक आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रोफेसर महमूदाबाद के सार्वजनिक बयान और टिप्पणियां सशस्त्र बलों में कार्यरत महिलाओं का अपमान करने वाली हैं। आयोग ने यह भी चिंता जताई कि इन टिप्पणियों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। आयोग के अनुसार, प्रोफेसर का आचरण महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। आयोग ने विशेष रूप से पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर भारत की सैन्य प्रतिक्रिया और ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पर प्रसारित आपत्तिजनक बयानों का उल्लेख किया, जो लगभग 7 मई के आसपास सामने आए थे।
प्रतिक्रियाओं का दौर और विश्वविद्यालय की चुप्पी
प्रोफेसर की गिरफ्तारी के बाद समाज के विभिन्न वर्गों से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, जबकि अधिकांश लोग सैन्य अधिकारियों, खासकर महिला अधिकारियों पर की गई टिप्पणी को निंदनीय मान रहे हैं। उनका तर्क है कि इस तरह की टिप्पणियां राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य मनोबल के लिए हानिकारक हैं। अशोका यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अभी तक इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। विश्वविद्यालय के रुख पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं कि वह अपने प्रोफेसर के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है या नहीं। फिलहाल, पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है, और कानूनी प्रक्रिया जारी है। यह घटना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदारी के महत्व पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ती है।