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Learning Resource Center : भविष्य की शिक्षा के लिए इतिहास विभाग में लर्निंग रिसोर्स सेंटर शुरू, अब होगा ज्ञान और शोध का संगम

सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रुद्रपुर के इतिहास विभाग ने शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए लर्निंग रिसोर्स सेंटर (एलआरसी) की स्थापना की है। यह केंद्र केवल अध्ययन का स्थान नहीं होगा, बल्कि यह ज्ञानार्जन, नेतृत्व विकास और आत्मनिर्भरता की भावना को पोषित करने वाला एक जीवंत केंद्र बनेगा। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों के बीच पठन-पाठन की संस्कृति को बढ़ावा देना है।

सहभागिता से निर्मित हुआ ज्ञान का केंद्र

एलआरसी की स्थापना सहभागिता और सहयोग के सिद्धांत पर आधारित है। इसकी शुरुआत जिला पुस्तकालय अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, दिनेशपुर के सक्रिय सहयोग से हुई है, जिससे नवीनतम पुस्तकों की उपलब्धता और आदान-प्रदान सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, यह केंद्र सभी छात्रों, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों को अपनी पुरानी पुस्तकें, पत्रिकाएँ और अन्य शैक्षिक सामग्री दान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, ताकि ज्ञान की इस यात्रा को सामूहिक बनाया जा सके।

ज्ञान परिश्रम की मिट्टी और जिम्मेदारी की धूप में ही अंकुरित होता है

इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अपर्णा सिंह ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “ज्ञान एक ऐसा बीज है जो परिश्रम की मिट्टी और जिम्मेदारी की धूप में ही अंकुरित होता है। एलआरसी छात्रों द्वारा और छात्रों के लिए निर्मित एक ऐसा केंद्र है, जहाँ हम उन्हें केवल पुस्तकें ही नहीं, बल्कि सोचने, समझने और ऊंची उड़ान भरने की शक्ति भी प्रदान करना चाहते हैं।”

डॉ. सिंह ने यह भी जानकारी दी कि एलआरसी का संपूर्ण प्रबंधन छात्र कार्यकारिणी द्वारा किया जाएगा। यह व्यवस्था छात्रों में नेतृत्व क्षमता और आत्मनिर्भरता के गुणों को विकसित करने में सहायक होगी। इस अवसर पर एक छात्र कार्यकारिणी का गठन भी किया गया, जिसमें तरन्नुम, धीरज, अभिषेक चंद्र, नीतू, अनामिका और शिवांशु को केंद्र की सुचारू गतिविधियों के संचालन के लिए नामित किया गया।

यह केंद्र छात्रों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा

इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ. प्रमोद जोशी ने एलआरसी को विभागाध्यक्ष की रचनात्मक और दूरदर्शी सोच का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “यह केंद्र गहन चिंतन, ऐतिहासिक समझ और ज्ञान के नवोन्मेष के नए रास्ते खोलेगा। यह छात्रों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो उन्हें अनुसंधान, विचार-विमर्श और रचनात्मकता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा। आज यह केंद्र भले ही साधारण दिखाई दे, लेकिन इतिहास साक्षी है कि हर असाधारण कार्य की शुरुआत साधारण ही होती है।” महाविद्यालय के प्राचार्य ने इस पहल को एक ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा, “यह केंद्र भविष्य की पीढ़ियों के लिए ज्ञान का एक विशाल वृक्ष साबित होगा। हमें पूर्ण विश्वास है कि यह छात्रों के शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास के लिए एक सशक्त माध्यम बनेगा।”

आधुनिक शिक्षा का संगम

एलआरसी केवल पुस्तकों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्र और संवादात्मक अध्ययन के लिए एक प्रयोगशाला के समान है। यहाँ देश-दुनिया से संबंधित विभिन्न प्रकार की पुस्तकें, पत्रिकाएँ और डिजिटल शिक्षण संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। यह पारंपरिक अध्ययन विधियों को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर शिक्षा के नए मानक स्थापित करेगा। इतिहास विभाग के दोनों प्राध्यापकों ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से अपील की कि वे समय, संसाधन अथवा अध्ययन सामग्री के माध्यम से इस महत्वपूर्ण पहल को सफल बनाने में अपना योगदान दें।

एलआरसी को एक जीवंत, सतत और सामूहिक प्रयास बनाने के लिए सभी की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। इस कार्यक्रम में इतिहास विभाग के सभी छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे और उन्होंने इस नई पहल के प्रति उत्साह व्यक्त किया।