भारत में इस बार मानसून अपनी सामान्य तारीख से चार दिन पहले दस्तक देगा। मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल तट पर पहुंचने वाला है। आमतौर पर यह 1 जून को केरल आता है। 16 साल में यह पहला मौका है जब मानसून इतनी जल्दी आएगा। इससे पहले 2009 में 23 मई को और 2018 में 29 मई को मानसून ने जल्दी दस्तक दी थी।
अंडमान से शुरुआत, पूरे देश में असर
मौसम विभाग के अनुसार, मानसून 13 मई तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पहुंच सकता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे दक्षिण भारत की ओर बढ़ेगा। केरल पहुंचने के बाद मानसून 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाएगा और 15 अक्टूबर तक लौट जाएगा। हालांकि, IMD का कहना है कि मानसून के जल्दी या देर से आने का देशभर की बारिश पर सीधा असर नहीं पड़ता।
सामान्य से बेहतर बारिश की उम्मीद
अर्थ साइंस मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने बताया कि जून से सितंबर के बीच सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है। इस दौरान 87 सेमी के औसत के मुकाबले 105% बारिश हो सकती है। यह फसलों और जल संसाधनों के लिहाज से शुभ संकेत है। इस बार अल नीनो का खतरा नहीं है, जिससे कम बारिश की आशंका बेहद कम है।
देश की खेती और अर्थव्यवस्था के लिए राहत
भारत की 42% आबादी खेती पर निर्भर है और GDP में कृषि का योगदान करीब 18% है। अच्छी बारिश का मतलब है—फसलों की अच्छी पैदावार, महंगाई में कमी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती। इसके साथ ही बिजली उत्पादन, पीने के पानी और जलाशयों के स्तर में भी सुधार होगा। इस बार जल्दी आने वाला और सामान्य से बेहतर रहने वाला मानसून भारत की कृषि और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए राहत लेकर आ सकता है।