आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक ऐसी एनालिसिस, जो हर भारतीय को गर्व से भर देगी। लंबे समय से सुपरपावर बनने की राह पर अग्रसर भारत के पास अब वो स्वर्णिम अवसर है, जिसे दुनिया भी अनदेखा नहीं कर सकती। ऑपरेशन सिंदूर को जिस तरह का अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है, वह इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि विश्व मंच पर भारत का कद कितना ऊंचा हो चुका है।
जी हां, ऑपरेशन सिंदूर के हर कदम पर भारत ने यह साबित करने की कोशिश की है कि वह बुद्ध का देश है, युद्ध का नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई मौकों पर इसी बात को दोहराया है कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं और दुनिया की समस्याओं का समाधान भी युद्ध में नहीं, बल्कि शांति में निहित है। लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि अगर युद्ध थोपा जाए तो भारत चुप रहेगा। अब भारत सुपरपावर की श्रेणी में तेजी से आगे बढ़ रहा है, और उसे किसी भी मुगालते में नहीं रहना चाहिए। इसके लिए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का भी मोहताज रहने की जरूरत नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का बढ़ता दबदबा
याद कीजिए सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री मोदी का वह कथन- हम उस देश के वासी हैं, जिसने दुनिया को ‘युद्ध’ नहीं ‘बुद्ध’ दिये हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में भी उन्होंने इसी बात को दोहराते हुए कहा था कि दुनिया युद्ध में नहीं बल्कि बुद्ध में समाधान ढूंढ सकती है। 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री ने कहा था कि जब दुनिया तलवार के जोर पर साम्राज्य बढ़ा रही थी, तब हमारे सम्राट अशोक ने शांति का रास्ता चुना था। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट थिंक टैंक की ओर से जारी एशिया पावर इंडेक्स में भारत को तीसरा सबसे शक्तिशाली देश बताया गया था, जिसने जापान और रूस जैसे दिग्गजों को भी पीछे छोड़ दिया था। पहले और दूसरे नंबर पर क्रमशः अमेरिका और चीन थे, जबकि पाकिस्तान 16वें पायदान पर कहीं दूर खड़ा था।
वैश्विक समर्थन, पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने जिस तरह हर मोर्चे पर पाकिस्तानी आक्रमण को नाकाम किया है, उसे पूरी दुनिया ने देखा है। मुस्लिम राष्ट्र भी इस बार खामोश हैं, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। खुलकर सिर्फ तुर्किए और दबे स्वर में चीन जैसे देश ही पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। वहीं, रूस, अमेरिका, यूके, फ्रांस और इजरायल जैसे प्रमुख देशों ने खुलकर भारत का समर्थन किया है। तुर्किए के राजदूत ने भारत के एयर स्ट्राइक को पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है और निर्दोष लोगों की मौत पर शोक भी जताया है, लेकिन बाकी दुनिया यह देख रही है कि किस तरह पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने पहलगाम में निहत्थे पर्यटकों की जान ले ली।
इसके बावजूद, भारत बड़े धैर्य और संयम के साथ कार्रवाई कर रहा है, निर्दोष नागरिकों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने से बच रहा है, और पाकिस्तान के हर हमले का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। ऐसे गंभीर हालात में भी पूरी दुनिया भारत के रुख और पाकिस्तान की हरकतों पर नजर रख रही है। निसंदेह, भारत के पास खुद को एक जिम्मेदार और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का यह एक सुनहरा अवसर है।
अमेरिका का न्यूट्रल होना भी पाकिस्तान के खिलाफ
फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका दोनों पक्षों से तनाव कम करने का आग्रह कर सकता है, लेकिन वह इस युद्ध में शामिल नहीं होगा, क्योंकि यह उनका काम नहीं है और वे इसे नियंत्रित नहीं कर सकते। पाकिस्तान इससे स्पष्ट संकेत और क्या सुनना चाहता है?
रूस का भारत के साथ खड़ा रहना
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की है। रूस ने सभी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों की कड़ी निंदा की है और आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता पर जोर दिया है। रूस ने कई मौकों पर अलग-अलग तरीकों से भारत के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है। वास्तव में, किसी भी देश का पाकिस्तान के साथ न खड़ा होना भी भारत के लिए एक प्रकार का समर्थन ही है।
चीन की चिंता भी पाकिस्तान समझ रहा है
पाकिस्तान में चीन के HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम का नाकाम होना निश्चित रूप से चीन के लिए चिंता का विषय है। चीन ने भारत की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त की है। हालांकि, चीन भी आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करने की बात कह रहा है, लेकिन पहलगाम अटैक को आतंकवादी गतिविधि कहने से बच रहा है, जो उसकी दोगली नीति को दर्शाता है।
संक्षेप में कहें तो, ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का व्यापक समर्थन और भारत का संयमित लेकिन दृढ़ रवैया यह साबित करता है कि भारत सुपरपावर बनने की राह पर सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। अब यह भारत पर निर्भर करता है कि वह इस अवसर का सदुपयोग कैसे करता है और दुनिया को अपनी शक्ति और जिम्मेदारी का एहसास कैसे कराता है।