उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। रविवार, 4 मई को देहरादून की सांग नदी और मसूरी के प्रसिद्ध कैंपटी फॉल में बादल फटने की अप्रत्याशित घटना से अचानक बाढ़ आ गई। इस प्राकृतिक आपदा के कारण इन क्षेत्रों में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन राहत और बचाव दलों की त्वरित कार्रवाई से वहां फंसे पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
देहरादून में बादल फटने से सांग नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया, जिससे आसपास के इलाकों में पानी भर गया। वहीं, मसूरी के कैंपटी फॉल में भारी मात्रा में मलबा और पानी सड़कों पर आ गया, जिसके चलते यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। इस मार्ग पर यात्रा कर रहे पर्यटक बीच रास्ते में फंस गए, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गईं। हालांकि, सूचना मिलते ही बचाव दल मौके पर पहुंचा और फंसे हुए पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
बाढ़ का असर चारधाम यात्रा पर भी देखने को मिला
इस अप्रत्याशित बाढ़ का असर चारधाम यात्रा पर भी देखने को मिला। ऋषिकेश के पास भूस्खलन के कारण सड़क जाम हो गई, जिससे चारधाम यात्रा कुछ समय के लिए बाधित रही। यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर इंतजार करने की सलाह दी गई, जब तक कि मार्ग को यातायात के लिए फिर से खोल नहीं दिया गया। देहरादून और मसूरी के विभिन्न हिस्सों में मूसलाधार वर्षा ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। मालदेवता स्थित सोंग नदी में अचानक आए उफान और कैंपटी फॉल के बढ़ते जलस्तर ने प्राकृतिक आपदा की भयावहता को दर्शाया। कैंपटी फॉल से आए मलबे ने आसपास की दुकानों में भी प्रवेश कर गया, जिससे व्यापारियों को नुकसान हुआ।
कुछ स्थानों पर गरज के साथ बिजली गिरने, ओलावृष्टि और तेज हवाएं चलने की संभावना
मौसम विभाग ने सोमवार को भी उत्तराखंड के लिए राहत की खबर नहीं दी है। देहरादून मौसम विभाग ने आज भी राज्य के पहाड़ी जिलों में हल्की बारिश का पूर्वानुमान जताया है। इसके साथ ही, कुछ स्थानों पर गरज के साथ आकाशीय बिजली गिरने, ओलावृष्टि और तेज हवाएं (40-50 किमी/घंटे) चलने की संभावना भी व्यक्त की गई है। उधर, पड़ोसी राज्य राजस्थान में भी रविवार को कई जिलों में तेज बारिश हुई। चित्तौड़गढ़ में भारी वर्षा के कारण जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा। भीलवाड़ा में तेज बारिश के चलते एक दीवार ढह गई, हालांकि इस घटना में किसी प्रकार की जनहानि की सूचना नहीं है।
जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों की ओर इशारा करती हैं बादल फटने की घटना
उत्तराखंड में बादल फटने की यह घटना जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों की ओर इशारा करती है। पहाड़ों पर इस तरह की अप्रत्याशित और तीव्र वर्षा की घटनाएं आम होती जा रही हैं, जो जान-माल के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन को ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन की तैयारियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार के नुकसान को कम किया जा सके। पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को भी मौसम की जानकारी के प्रति सचेत रहना चाहिए और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए।