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कॉर्बेट से राजाजी: पांचवा बाघ जंगल में छोड़ा जाएगा, बाघों की संख्या में सकारात्मक वृद्धि देखने को मिलेगी

राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज में बाघों की आबादी को बढ़ाने के महत्वाकांक्षी प्रयास के तहत, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क से बेहोश कर लाया गया पांचवा बाघ सोमवार को अपने प्राकृतिक habitat में विचरण करेगा। इस बाघ को अभी तक एक विशेष बाड़े में रखा गया था, जहां उसकी स्वास्थ्य जांच और अनुकूलन प्रक्रिया पूरी की गई।

पांच वर्षीय नर बाघ की नई यात्रा

यह पांच वर्षीय स्वस्थ नर बाघ, जिसे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बिजरानी क्षेत्र से सावधानीपूर्वक स्थानांतरित किया गया था, आज़ादी की नई राह पर कदम रखेगा। वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस बाघ के आगमन से राजाजी टाइगर रिजर्व के इस हिस्से में बाघों की संख्या में सकारात्मक वृद्धि देखने को मिलेगी।

वन मंत्री की उपस्थिति में रिहाई

इस महत्वपूर्ण अवसर पर उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल भी उपस्थित रहेंगे। उनकी उपस्थिति इस परियोजना के प्रति सरकार की गंभीरता और वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को दर्शाती है। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और बाघ विशेषज्ञ भी इस दौरान मौजूद रहेंगे।

बाघ शिफ्टिंग प्रोजेक्ट का समापन

इस बाघ को जंगल में छोड़े जाने के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व में कॉर्बेट से बाघों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित करने का यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भी पूरा हो जाएगा। यह परियोजना पिछले कई वर्षों से चल रही थी और इसका उद्देश्य राजाजी के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में बाघों की संख्या को स्थिर करना और बढ़ाना था।

राजाजी में बाघों की बढ़ती संख्या

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से अब तक कुल पांच बाघों को राजाजी टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया है, जिनमें दो नर और तीन मादा बाघ शामिल हैं। इस पहल से राजाजी टाइगर रिजर्व के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलने की उम्मीद है।

वैज्ञानिक निगरानी जारी रहेगी

स्थानांतरित किए गए सभी बाघों को मेडिकल परीक्षण के बाद सैटेलाइट रेडियो कॉलर पहनाया गया है। इसके अतिरिक्त, उनकी गतिविधियों पर जीपीएस कॉलर और उच्च तकनीक वाले सीसीटीवी कैमरों की मदद से बाघ विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम लगातार निगरानी कर रही है। यह सुनिश्चित करेगा कि बाघ नए वातावरण में सफलतापूर्वक अनुकूलित हो रहे हैं और उनकी सुरक्षा भी बनी रहे।

जंगल में नया जीवन

असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट (एसीएफ) अजय लिंगवाल ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार को इस पांचवें बाघ को बाड़े से निकालकर राजाजी टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में छोड़ दिया जाएगा। यह बाघ अब अपने प्राकृतिक आवास में स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकेगा, जो इस पुनर्वास परियोजना का मुख्य उद्देश्य है।

भविष्य के लिए उम्मीद

बाघों के इस सफल स्थानांतरण से राजाजी टाइगर रिजर्व के वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को एक नई दिशा मिलेगी और इस क्षेत्र में बाघों की आबादी बढ़ने की उम्मीद जगेगी। यह परियोजना अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है जो वन्यजीवों के पुनर्वास और संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं।