Homeपर्यावरणरायकाना Glacier : संवेदनशील वसुंधरा ताल का प्राथमिक जलस्रोत, गहराई 38 मीटर

रायकाना Glacier : संवेदनशील वसुंधरा ताल का प्राथमिक जलस्रोत, गहराई 38 मीटर

उत्तराखंड में स्थित संवेदनशील झीलों पर किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। चमोली जिले में 4702 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हिमझील वसुंधरा ताल का प्राथमिक जलस्रोत रायकाना ग्लेशियर (Raikana Glacier) है। इसके अतिरिक्त, विस्तृत अध्ययन में यह भी पता चला है कि इस महत्वपूर्ण झील की गहराई लगभग 38 मीटर है।

वसुंधरा ताल पर किए गए इस व्यापक अध्ययन में झील की गहराई के साथ-साथ उसकी लंबाई, चौड़ाई और पानी के निकास की स्थितियों का भी गहन विश्लेषण किया गया। अध्ययनकर्ताओं ने इसके लिए सोनार आधारित इको साउंडर नाव जैसे आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया। राज्य में चिन्हित 13 संवेदनशील झीलों में से एक वसुंधरा ताल की जीएलओएफ (ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड) एसेसमेंट सर्वे कराने का निर्णय लिया गया था, जिसके तहत पिछले वर्ष अक्टूबर में 15 सदस्यीय एक विशेषज्ञ टीम को मौके पर भेजा गया था।

अधिकतम गहराई करीब 38 मीटर दर्ज

इस विशेषज्ञ दल में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, ULMMC, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (ndrf) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (sdrf) के अनुभवी कर्मी शामिल थे। टीम ने अत्याधुनिक सोनार आधारित इको साउंडर नाव और अन्य आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए वसुंधरा ताल का विस्तृत भूगर्भीय और जलवैज्ञानिक अध्ययन किया। इस गहन पड़ताल में वसुंधरा ताल की लंबाई लगभग 900 मीटर और चौड़ाई 600 मीटर मापी गई, जबकि इसकी अधिकतम गहराई करीब 38 मीटर दर्ज की गई।

सर्वेक्षण के दौरान यह महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया कि वसुंधरा ताल में पानी का मुख्य स्रोत रायकाना ग्लेशियर है। इसके अतिरिक्त, अध्ययन में ताल से पानी के निकास बिंदुओं के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। झील में पानी के निकास के दो प्रमुख बिंदु पाए गए हैं। इनमें से एक निकास की चौड़ाई लगभग चार मीटर और गहराई 1.3 मीटर है, जबकि दूसरा निकास दो छोटी झीलों की एक श्रृंखला के माध्यम से हो रहा है।

रिपोर्ट में आपदाओं की संभावित स्थितियों का भी विस्तृत उल्लेख

अध्ययन रिपोर्ट में भूस्खलन और हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की संभावित स्थितियों का भी विस्तृत उल्लेख किया गया है। पिछले महीने, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें इस संवेदनशील झील से जुड़े अध्ययन के महत्वपूर्ण निष्कर्षों को संबंधित अधिकारियों के साथ साझा किया गया था, ताकि भविष्य में किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए प्रभावी योजनाएं बनाई जा सकें। यह अध्ययन वसुंधरा ताल और इसके आसपास के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में महत्वपूर्ण साबित होगा।