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संविदा और आउटसोर्स भर्तियों पर विराम ! अब सिर्फ नियमित नियुक्तियां, आदेश जारी

उत्तराखंड सरकार ने राज्यभर में संविदा, आउटसोर्स, तदर्थ और दैनिक वेतन भर्तियों पर सीधा ब्रेक लगा दिया है। अब प्रदेश के सरकारी विभागों में केवल नियमित नियुक्तियों के जरिए ही नई भर्तियां की जाएंगी। यह बड़ा और निर्णायक फैसला राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने शुक्रवार को लिया, जिसका आदेश सभी विभागों, मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को भेज दिया गया है।

इस फैसले के बाद अब आउटसोर्सिंग के नाम पर होने वाली अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा और वर्षों से लटकी पड़ी नियमित भर्तियों को गति मिलेगी। आदेश में साफ कहा गया है कि अगर किसी अधिकारी ने आउटसोर्स या संविदा के जरिए नियुक्ति की, तो वह उसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी मानी जाएगी और अनुशासनात्मक कार्रवाई तय मानी जाएगी।

पुराने आदेश अब रद्द, नई व्यवस्था लागू

मुख्य सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्ष 2018 और 2021 में जो शासनादेश आउटसोर्सिंग को लेकर जारी किए गए थे, वे अब संशोधित माने जाएंगे। अब किसी भी विभाग में नियमित रिक्त पदों पर संविदा, आउटसोर्स, अंशकालिक या नियत वेतन पर कोई नियुक्ति नहीं होगी। यह फैसला इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में संविदा और आउटसोर्सिंग के जरिए बड़ी संख्या में कर्मचारी रखे गए। इन कर्मचारियों ने अब नियमितिकरण की मांग को लेकर न्यायालयों का रुख कर रखा है, जिससे नियमित भर्तियों में अड़चनें आ रही थीं।

न्यायालयों में फंसी सरकार, अब रास्ता साफ करने की कोशिश

कई विभागों में ऐसे मामले सामने आए जहां नियमित नियुक्ति के आदेश जारी होने के बावजूद पहले से तैनात संविदा कर्मचारियों ने कोर्ट से स्टे ले लिया। इससे न सिर्फ सरकार की योजनाएं अटक गईं, बल्कि कोर्ट की अवमानना की स्थिति भी बनने लगी। सरकार अब इस गड़बड़झाले को खत्म कर स्पष्ट और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया लागू करने जा रही है।

रिक्त पदों के लिए अधियाचन भेजना अनिवार्य

मुख्य सचिव ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि वे अपने विभागों में मौजूद सभी रिक्त नियमित पदों की गणना करें और संबंधित चयन आयोगों को समय पर अधियाचन भेजें। ताकि चयन प्रक्रिया समयबद्ध रूप से पूरी की जा सके और रिक्तियों के चलते विभागीय कार्यों पर असर न पड़े। साथ ही यह भी तय किया गया है कि अधियाचन की नियमित समीक्षा की जाएगी ताकि कोई भी विभाग जानबूझकर भर्ती प्रक्रिया को धीमा न करे।

छठे वेतन आयोग के बाद चतुर्थ श्रेणी पद खत्म, बना था आउटसोर्स का विकल्प

आदेश में यह भी उल्लेख है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद राज्य में चतुर्थ श्रेणी पदों को समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद से जरूरी कार्यों के लिए आउटसोर्सिंग को ही विकल्प के रूप में अपनाया गया। लेकिन अब जब रिक्त पद भरे जा सकते हैं, तो सरकार ने तय किया है कि यह अस्थायी व्यवस्थाएं स्थायी नहीं बनेंगी।

भ्रष्टाचार पर लगेगा ब्रेक, युवाओं को मिलेगा सीधा फायदा

सरकार का यह कदम एक तरफ जहां भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएगा, वहीं दूसरी तरफ हजारों बेरोजगार युवाओं को नियमित नौकरी पाने का अवसर भी देगा। लंबे समय से युवा वर्ग यह मांग करता आ रहा था कि अस्थायी भर्तियों की जगह स्थायी नौकरियों की प्रक्रिया शुरू की जाए।