उत्तराखंड सरकार ने आगामी चारधाम यात्रा के लिए आपदा प्रबंधन तैयारियों की जांच करने के लिए सात जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित की। इस ड्रिल के दौरान यात्रा मार्गों पर विभिन्न आपदाओं से निपटने के उपायों का परीक्षण किया गया, ताकि यात्रा के दौरान किसी भी अप्रत्याशित घटना से बचा जा सके।
मॉक ड्रिल में उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और टिहरी जिलों में विभिन्न प्रकार के संकटों का परिदृश्य बनाया गया। इनमें भूस्खलन, रास्ते बंद होने, हेलीकॉप्टर क्रैश और मेडिकल इमरजेंसी जैसी स्थितियों को शामिल किया गया। अधिकारियों ने इन परिदृश्यों में संबंधित विभागों की तैयारी की जांच की और आवश्यक सुधारों के लिए सुझाव दिए।
जिला प्रशासन ने कई जगहों पर अच्छा समन्वय दिखाया
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के प्रमुख सलाहकार मेजर जनरल सुधीर बहल ने ड्रिल के दौरान कहा कि जिला प्रशासन ने कई जगहों पर अच्छा समन्वय दिखाया, खासकर भगदड़ और भूस्खलन जैसी स्थितियों में। हालांकि, कुछ कमियां भी सामने आईं जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है। मॉक ड्रिल के दौरान जिन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान दिया गया, उनमें मार्ग बंद होने की स्थिति में यात्रियों को रोकने और उनकी सुरक्षित आवाजाही के लिए सुविधाएं सुनिश्चित करना था। इसके अलावा, घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाना और अधिक संख्या में वाहनों के दबाव को संभालने के लिए इंतजाम भी देखे गए।
मॉक ड्रिल के दौरान सामने आईं ये कमियां
1- डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान की कमी: देहरादून के जिला अस्पताल में डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान तैयार नहीं था। एनडीएमए के अधिकारियों ने इसे तुरंत तैयार करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, बन्नू स्कूल में भी डिजास्टर प्लान की कमी पाई गई, जिसे जल्द लागू करने की सलाह दी गई।
2- संचार सेवा में समस्या: पहाड़ी क्षेत्रों में कुछ जगहों पर फोन नेटवर्क की समस्या आई, जिससे आपातकालीन स्थिति में संपर्क करने में मुश्किलें आईं।
3- वाहनों की अधिकता और समय की देरी: सड़क पर वाहनों का अत्यधिक दबाव था, जिससे एंबुलेंस को समय पर घटनास्थल तक पहुंचने में देरी हुई।
4- प्रबंधकीय कमियां: देहरादून के रिजर्व पुलिस लाइंस में रिलीफ कैंप के लिए स्थान तो उपलब्ध कराया गया था, लेकिन कैंप के लिए आवश्यक सुविधाएं अन्य विभागों द्वारा जुटाई जानी थीं, जिस पर प्रबंधकीय कमी पाई गई।
संबंधित विभागों को तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने की सलाह
मेजर जनरल बहल ने मॉक ड्रिल के समापन के बाद सभी संबंधित विभागों को तुरंत सुधारात्मक कदम उठाने की सलाह दी, ताकि यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान कोई भी अप्रिय घटना न हो, इसके लिए सभी विभागों को मिलकर काम करना होगा। इस दौरान राज्य आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला और आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि मॉक ड्रिल का उद्देश्य चारधाम यात्रा के संचालन को और अधिक सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाना था, और इस दिशा में काफी हद तक सफलता प्राप्त हुई है।
उत्तराखंड सरकार यात्रा और आपदा प्रबंधन के लिए गंभीर
मॉक ड्रिल में सामने आई कमियों को ध्यान में रखते हुए, एनडीएमए और राज्य सरकार ने आगामी यात्रा के लिए सभी विभागों को आवश्यक सुधार करने के निर्देश दिए हैं। इन सुधारों में डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान को अद्यतन करना, संचार सेवाओं को मजबूत बनाना, और यात्रा मार्गों पर यात्री सुरक्षा के उपायों को सुनिश्चित करना शामिल है। इस मॉक ड्रिल से यह साबित हुआ कि उत्तराखंड सरकार यात्रा और आपदा प्रबंधन के लिए गंभीर है और चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी संकट से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।