नैनीताल में कैंची धाम की ओर जाने वाले मार्ग पर लगातार लग रहे ट्रैफिक जाम पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि कैंची धाम को जाम मुक्त करने के लिए अब तक क्या ठोस प्रयास किए गए हैं और भविष्य में क्या योजना है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मसले पर राज्य सरकार, यातायात विभाग और नगर प्रशासन से विस्तृत जानकारी मांगी।
कितने लोग निजी और कितने सार्वजनिक वाहन से आते हैं
कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि कैंची धाम में प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं में से कितने लोग निजी वाहनों से आते हैं और कितने सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि वहां बने होटलों में केवल 50 प्रतिशत पार्किंग की व्यवस्था का आधार क्या है? इस सवाल के पीछे कोर्ट की मंशा स्पष्ट थी कि आधे वाहनों के लिए पार्किंग न होने से ट्रैफिक जाम की समस्या और गंभीर हो जाती है।
कैंची बाईपास निर्माण और हेलिपैड प्रोजेक्ट पर सवाल
अदालत ने कैंची बाईपास के निर्माण की प्रगति की रिपोर्ट भी तलब की। साथ ही यह जानकारी भी मांगी गई कि कैंची धाम क्षेत्र में वर्तमान में कितनी गाड़ियों की पार्किंग क्षमता है और भविष्य में कितने वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है। सुनवाई के दौरान एसपी ट्रैफिक डॉ. जगदीश चंद्रा व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में केवल 50 वाहनों की पार्किंग की क्षमता है, जबकि प्रस्तावित बड़ी पार्किंग में 450 वाहन खड़े किए जा सकेंगे। इसके साथ ही हेलीपैड का निर्माण भी प्रगति पर है, ताकि आपातकालीन या विशेष परिस्थितियों में हवाई मार्ग से आवागमन संभव हो सके।
टैक्सी चालकों की आजीविका का मुद्दा भी उठा
सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह भी बताया गया कि न्यायालय के एक पुराने आदेश के बाद कई स्थानीय टैक्सी चालक बेरोजगार हो गए हैं। ऐसे में कोर्ट से आग्रह किया गया कि स्थानीय निवासियों को, जिन्हें टैक्सी चलाने का अनुभव है, दोबारा लाइसेंस जारी कर आजीविका कमाने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने इस पहलू पर भी सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के संकेत दिए।
स्टिल्ट पार्किंग की संभावना पर दिया जोर
दोपहर बाद हुई सुनवाई में अदालत ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि नगर क्षेत्र में स्टिल्ट (ऊंची छत वाली) पार्किंग की संभावनाएं तलाशें। कोर्ट ने सुझाव दिया कि पार्किंग की ऊंचाई सात फीट तक रखी जा सकती है ताकि सामान्य कारों से लेकर एसयूवी तक खड़ी की जा सकें। इससे पार्किंग की समस्या को काफी हद तक सुलझाया जा सकता है।
अगली सुनवाई 23 अप्रैल को
अदालत ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे इस संबंध में ठोस योजना और रिपोर्ट के साथ अगली सुनवाई में उपस्थित हों। इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार, 23 अप्रैल 2025 को होगी। हाईकोर्ट का यह हस्तक्षेप न केवल कैंची धाम के श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि नैनीताल क्षेत्र में ट्रैफिक प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।