22 अप्रैल 2025, दिन सोमवार – हिंदुस्तान की तारीख़ का एक और काला दिन। जम्मू-कश्मीर की जन्नत कही जाने वाली वादियों में उस दिन मौत का तांडव हुआ। पहलगाम, जो हमेशा शांति, प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटकों के स्वागत के लिए जाना जाता है, अचानक बारूद और लहू से भर गया।
दोपहर 1:30 बजे बैसरन घाटी में टहलते पर्यटकों पर गोलियों की बौछार शुरू हुई। सेना की वर्दी में दो नकाबपोश आतंकी आए, पहचान पूछी, और धर्म के आधार पर 26 निर्दोषों को गोली मार दी। महाराष्ट्र की एक युवती के सामने उसके पिता की हत्या कर दी गई, क्योंकि वह ‘कलमा’ नहीं पढ़ सके। ये सिर्फ हमला नहीं था, ये धर्म के नाम पर नरसंहार था। हमला एक साजिश थी – कश्मीर में फिर से डर फैलाने की, पर्यटकों को भगाने की, और अमरनाथ यात्रा से पहले आतंक की आग भड़काने की।
हमलावर कौन थे
इस क्रूर हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट TRF ने ली है। सूत्रों के अनुसार, इस नरसंहार का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद है। मैदान में उतरे नाम हैं – आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा।
PM Modi का एक्शन
पीएम नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब दौरा बीच में छोड़ते हुए सेना को फुल फ्री हैंड दे दी है। उन्होंने कहा, “अब कोई नहीं बचेगा।” दिल्ली में हाई-लेवल मीटिंग के बाद राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई और सेना ने तुरंत ऑपरेशन लॉन्च किया। बारामूला के उरी नाला में दो आतंकी मारे गए, 100 से अधिक संदिग्ध हिरासत में हैं। ड्रोन, हेलिकॉप्टर और स्पेशल फोर्स हर एंगल से जुटी हैं। ऑपरेशन “Hunt Down” अब अपने अंतिम चरण में है।
हमले के पीछे की 4 थ्योरी
-अमेरिकी V-P की भारत यात्रा – ताकत दिखाना था।
-PM मोदी की अरब डील – पाकिस्तान की बौखलाहट।
-कश्मीर रेल लिंक और टूरिज्म – अर्थव्यवस्था पर हमला।
-अमरनाथ यात्रा से पहले डर फैलाना।
शहीद लेफ्टिनेंट विनय – हनीमून से शहादत तक
हरियाणा के करनाल निवासी लेफ्टिनेंट विनय की कहानी हर भारतीय की आंख नम कर रही है। 16 अप्रैल को शादी, 22 अप्रैल को शहादत। पत्नी हिमांशी के सामने सिर में गोली मारी गई। हिमांशी ने रोते हुए कहा – “I’m proud of you.” यह सिर्फ शहीद की कहानी नहीं, बल्कि हर भारतीय महिला का दर्द है, जो देश की रक्षा के लिए अपने सपनों की आहुति देती है।
जनता का गुस्सा – India Wants Justice
देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं – लखनऊ से केरल तक, सोशल मीडिया पर #IndiaWantsJustice ट्रेंड कर रहा है। लोग कैंडल मार्च निकाल रहे हैं, सड़कों पर उतर आए हैं।
यह हमला क्यों मायने रखता है
पहलगाम में धार्मिक आधार पर किया गया यह हमला एक कड़वा संकेत है कि आतंकवाद फिर से वैसा ही चेहरा दिखा रहा है जैसा 90 के दशक में दिखा था। यह हमला इंसानियत के खिलाफ है, भारत की एकता पर हमला है, और एक बार फिर यह दिखाता है कि आतंक का सफाया अब ज़रूरी है।