उत्तराखंड में नैनीताल जिले के रानीबाग रेस्क्यू सेंटर से एक ऐसी कहानी सामने आई है जो इंसान और जंगल के सबसे खतरनाक माने जाने वाले जानवर, बाघ, के बीच भरोसे और अपनापन की मिसाल बन गई है। यहां रहने वाले दो टाइगर ‘जय’ और ‘वीरू’ अब सिर्फ रेस्क्यू सेंटर की शान नहीं हैं, बल्कि उनकी और जूकीपर विक्की लाल शाह की दोस्ती एक मिसाल बन गई है।
इन दोनों बाघों को विक्की की एक आवाज पर उठते, बैठते और उसके इशारों पर चलते देखा जा सकता है। आम तौर पर जिन्हें सिर्फ दहाड़ और खतरनाक हमले के लिए जाना जाता है, वे अब इंसान की नज़दीकी और ममता को समझने लगे हैं।
खेतों से रेस्क्यू, विक्की से रिश्ता
बात 4 अप्रैल 2023 की है जब जय और वीरू को उत्तराखंड के तराई पश्चिमी वन प्रभाग के बन्नाखेड़ा, बाजपुर के गन्ने के खेतों से रेस्क्यू किया गया। ये दोनों शावक अपनी मां से बिछुड़ चुके थे और खेतों में अकेले भटकते हुए मिले थे। उस वक्त उनकी उम्र महज कुछ हफ्तों की थी। रेस्क्यू के बाद इन्हें नैनीताल वन प्रभाग के रानीबाग रेस्क्यू सेंटर लाया गया।
यहीं से शुरू होती है विक्की लाल शाह और इन दो नन्हें शावकों की दिल छू लेने वाली कहानी। रेस्क्यू सेंटर में विक्की ने इनकी परवरिश की जिम्मेदारी ली और तब से लेकर आज तक इनका पालन-पोषण बच्चों की तरह किया है।
जय-वीरू: नाम ही नहीं, रिश्ता भी खास
रेस्क्यू सेंटर के अधिकारियों ने जब देखा कि ये दोनों बाघ हमेशा साथ रहते हैं, एकसाथ खाते हैं, खेलते हैं और एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते, तो इन्हें फिल्म ‘शोले’ की मशहूर जोड़ी के नाम पर ‘जय’ और ‘वीरू’ नाम दे दिए गए। आज ये दोनों न केवल बाघों की शानदार जोड़ी के रूप में जाने जाते हैं, बल्कि रेस्क्यू सेंटर की पहचान बन चुके हैं।
इनकी उम्र अब तीन साल के करीब हो चुकी है और उनका शरीर पूरी तरह से विकसित हो चुका है। देखने में वे किसी रॉयल बंगाल टाइगर से कम नहीं लगते। उनके गरजने की आवाज से पूरा रेस्क्यू सेंटर गूंज उठता है।
विक्की की एक आवाज पर करते हैं रेस्पॉन्ड
सबसे खास बात यह है कि जय और वीरू विक्की की आवाज को पहचानते हैं। विक्की जब उन्हें आवाज लगाते हैं, तो वे तुरंत उनके पास चले आते हैं। उनकी आज्ञा पर बैठते, उठते और प्रतिक्रिया देते हैं। विक्की ने बताया कि शुरुआत में दोनों बहुत डरे हुए थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनापन महसूस करना शुरू कर दिया।
विक्की कहते हैं- इनके साथ मेरा रिश्ता सिर्फ एक जूकीपर का नहीं बल्कि एक अभिभावक जैसा है। जैसे एक मां अपने बच्चों की देखभाल करती है, वैसे ही मैंने भी इन्हें प्यार और सुरक्षा दी है।
वन विभाग भी कर रहा है सराहना
रेस्क्यू सेंटर के रेंजर मुकुल चंद्र शर्मा ने बताया कि विक्की और उनकी टीम की मेहनत ने इन दोनों बाघों को न केवल नया जीवन दिया, बल्कि उन्हें समाज से जोड़ने की एक कोशिश भी की है। अब ये दोनों बाघ रेस्क्यू सेंटर में आने वाले पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। उनका कहना है कि विक्की की लगातार मेहनत और बाघों के साथ भावनात्मक जुड़ाव ही है, जिसने इस दोस्ती को इस मुकाम तक पहुंचाया है।
इंसान और वन्यजीव के रिश्ते की मिसाल
जय और वीरू की कहानी आज केवल बाघों की परवरिश की नहीं, बल्कि इंसान और वन्य जीवों के बीच संभावित भरोसे और रिश्ते की कहानी बन गई है। यह उदाहरण बताता है कि अगर कोई जीव हिंसक भी हो, तो भी प्रेम, धैर्य और लगन से उसे स्नेहिल बनाया जा सकता है। हर दिन कई लोग रानीबाग रेस्क्यू सेंटर पहुंचते हैं, सिर्फ जय और वीरू की एक झलक पाने के लिए। और जब वे विक्की की आवाज पर बाघों को आज्ञा का पालन करते देखते हैं, तो हर किसी की आंखों में हैरानी और दिल में स्नेह उमड़ आता है।
विक्की और टाइगर्स जय-वीरू की यह अनोखी दोस्ती साबित करती है कि इंसान और जानवर के बीच सीमाएं सिर्फ सोच की होती हैं। अगर इरादे नेक हों और दिल में अपनापन हो, तो जंगल का सबसे खतरनाक जीव भी दोस्त बन सकता है। यह कहानी सिर्फ एक रेस्क्यू नहीं, बल्कि भरोसे, देखभाल और मानवीय रिश्तों की जीत है।