उत्तराखंड में आम जनता को राहत देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। नैनीताल, भीमताल और हल्द्वानी में जरूरतमंदों के लिए सस्ते और किफायती आवास बनाए जाएंगे। यह निर्णय जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) बोर्ड की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने की। इस योजना को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं और शासन स्तर पर पत्राचार की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
बेलुआखान में बनेंगे 750 सस्ते आवास
डीडीए ने पहले चरण में बेलुआखान क्षेत्र की सरकारी भूमि पर लगभग 750 आवासों के निर्माण की योजना तैयार की है। इस योजना के तहत जरूरतमंदों को नियमों के तहत मकान आवंटित किए जाएंगे। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि नैनीताल और भीमताल जैसे क्षेत्रों में भवन निर्माण पर प्रतिबंध होने के कारण वहां किराए के मकान काफी महंगे मिलते हैं। ऐसे में यह योजना न केवल आमजन को राहत देगी, बल्कि इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण पर भी लगाम लगाएगी।
भीमताल और हल्द्वानी में भी कवायद तेज
भीमताल क्षेत्र में भी काफी मात्रा में सरकारी भूमि उपलब्ध है। इस भूमि को खरीदने और विकास के लिए शासन से पत्राचार की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। साथ ही, हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र में ऐसे अनेक लोग हैं, जो छोटी दुकानों, क्लीनिकों, या अन्य छोटे व्यवसायों के संचालन के लिए कम किराए वाले भवनों की तलाश में रहते हैं। इनके लिए भी प्राधिकरण ने सरकारी भूमि पर कम लागत वाले आवास बनाने का निर्णय लिया है।
भवन निर्माण पर सख्ती: बिना अनुमति के निर्माण पर रोक
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि हरे पेड़ों, बगीचों और बिना आवासीय भूमि पर किए गए भवन निर्माण के आवेदन खारिज किए जाएंगे। साथ ही, ऐसे सभी मामलों की जांच के लिए प्राधिकरण, राजस्व विभाग और टाउन प्लानिंग विभाग की संयुक्त समिति बनाई जाएगी, जो भौतिक परीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इससे अतिक्रमण और अनियंत्रित शहरीकरण पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा।
मानचित्र स्वीकृति के बाद सख्त निगरानी
कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि आवासीय, वाणिज्यिक और पुनर्निर्माण के लिए स्वीकृत मानचित्रों की निरंतर मॉनिटरिंग की जाए। यदि किसी निर्माण कार्य में स्वीकृत मानचित्र के अनुसार कार्य नहीं हो रहा है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि शहरी विकास योजनाएं नियोजनबद्ध ढंग से आगे बढ़ें।
बैठक में कई विभागों के अधिकारी रहे मौजूद
इस महत्वपूर्ण बैठक में जिलाधिकारी वंदना, प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल, प्लानिंग विभाग, आरईएस, जल संस्थान, नगर पालिका सहित कई विभागीय अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने आपसी समन्वय से योजना को धरातल पर उतारने पर सहमति जताई।
गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने की दिशा में सराहनीय पहल
उत्तराखंड में शहरी विकास के साथ-साथ गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने की दिशा में यह एक सराहनीय पहल है। बेलुआखान, भीमताल और हल्द्वानी जैसे क्षेत्रों में जहां मकान खरीदना आम लोगों के लिए सपना बन चुका है, वहां पर सरकारी भूमि पर बनाए जा रहे सस्ते आवास लोगों को एक स्थायी और सुलभ आशियाना दे सकते हैं। यदि योजना को पारदर्शिता और सख्त निगरानी के साथ लागू किया गया, तो यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।
उत्तराखंड में आम जनता को राहत देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। नैनीताल, भीमताल और हल्द्वानी में जरूरतमंदों के लिए सस्ते और किफायती आवास बनाए जाएंगे। यह निर्णय जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) बोर्ड की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने की। इस योजना को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं और शासन स्तर पर पत्राचार की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
बेलुआखान में बनेंगे 750 सस्ते आवास
डीडीए ने पहले चरण में बेलुआखान क्षेत्र की सरकारी भूमि पर लगभग 750 आवासों के निर्माण की योजना तैयार की है। इस योजना के तहत जरूरतमंदों को नियमों के तहत मकान आवंटित किए जाएंगे। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि नैनीताल और भीमताल जैसे क्षेत्रों में भवन निर्माण पर प्रतिबंध होने के कारण वहां किराए के मकान काफी महंगे मिलते हैं। ऐसे में यह योजना न केवल आमजन को राहत देगी, बल्कि इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण पर भी लगाम लगाएगी।
भीमताल और हल्द्वानी में भी कवायद तेज
भीमताल क्षेत्र में भी काफी मात्रा में सरकारी भूमि उपलब्ध है। इस भूमि को खरीदने और विकास के लिए शासन से पत्राचार की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। साथ ही, हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र में ऐसे अनेक लोग हैं, जो छोटी दुकानों, क्लीनिकों, या अन्य छोटे व्यवसायों के संचालन के लिए कम किराए वाले भवनों की तलाश में रहते हैं। इनके लिए भी प्राधिकरण ने सरकारी भूमि पर कम लागत वाले आवास बनाने का निर्णय लिया है।
भवन निर्माण पर सख्ती: बिना अनुमति के निर्माण पर रोक
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि हरे पेड़ों, बगीचों और बिना आवासीय भूमि पर किए गए भवन निर्माण के आवेदन खारिज किए जाएंगे। साथ ही, ऐसे सभी मामलों की जांच के लिए प्राधिकरण, राजस्व विभाग और टाउन प्लानिंग विभाग की संयुक्त समिति बनाई जाएगी, जो भौतिक परीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इससे अतिक्रमण और अनियंत्रित शहरीकरण पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा।
मानचित्र स्वीकृति के बाद सख्त निगरानी
कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि आवासीय, वाणिज्यिक और पुनर्निर्माण के लिए स्वीकृत मानचित्रों की निरंतर मॉनिटरिंग की जाए। यदि किसी निर्माण कार्य में स्वीकृत मानचित्र के अनुसार कार्य नहीं हो रहा है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि शहरी विकास योजनाएं नियोजनबद्ध ढंग से आगे बढ़ें।
बैठक में कई विभागों के अधिकारी रहे मौजूद
इस महत्वपूर्ण बैठक में जिलाधिकारी वंदना, प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल, प्लानिंग विभाग, आरईएस, जल संस्थान, नगर पालिका सहित कई विभागीय अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने आपसी समन्वय से योजना को धरातल पर उतारने पर सहमति जताई।
गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने की दिशा में सराहनीय पहल
उत्तराखंड में शहरी विकास के साथ-साथ गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने की दिशा में यह एक सराहनीय पहल है। बेलुआखान, भीमताल और हल्द्वानी जैसे क्षेत्रों में जहां मकान खरीदना आम लोगों के लिए सपना बन चुका है, वहां पर सरकारी भूमि पर बनाए जा रहे सस्ते आवास लोगों को एक स्थायी और सुलभ आशियाना दे सकते हैं। यदि योजना को पारदर्शिता और सख्त निगरानी के साथ लागू किया गया, तो यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।