उत्तराखंड के धार्मिक नगरी हरिद्वार में गंगा स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को इन दिनों भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति इतनी गंभीर है कि कई प्रमुख घाटों पर आचमन करने के लिए भी गंगाजल उपलब्ध नहीं है। गंगाजल की अनुपलब्धता ने जहां श्रद्धालुओं को निराश किया है, वहीं स्थानीय तीर्थ पुरोहितों, व्यापारियों और नागरिकों ने इसे करोड़ों भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ करार देते हुए यूपी सिंचाई विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
श्रद्धालु हो रहे हैं मायूस
हरिद्वार के श्मशान घाट, सर्वानंद घाट, जयराम घाट, भीमगोड़ा और हरकी पौड़ी जैसे प्रमुख घाटों पर गंगाजल की कमी ने श्रद्धालुओं को गहरी मायूसी में डाल दिया है। देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर आत्मिक शांति और मोक्ष की कामना करते हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि स्नान तो दूर, आचमन के लिए भी पानी नहीं मिल रहा। इस कारण कई श्रद्धालु घाटों तक आकर निराश लौट रहे हैं।
उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, पंजाब और यहां तक कि विदेशों से हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु हर बार की तरह इस बार भी गंगा स्नान की कामना लेकर पहुंचे, परंतु गंगा के सूखते घाट देखकर उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। खासकर गर्मियों की शुरुआत में जब तीर्थ यात्राओं का मौसम होता है, तब इस तरह की स्थिति और भी चिंता का विषय बन जाती है।
घाटों की दुर्दशा पर तीर्थ पुरोहितों का विरोध
गंगा घाटों की इस दयनीय स्थिति को लेकर तीर्थ पुरोहितों में भारी आक्रोश है। पंडित महेश चंद ने बताया कि पिछले छह महीनों से उत्तरी हरिद्वार के कई घाटों में गंगाजल नहीं आ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि गंगा की अविरल धारा को रोकने वाले अधिकारियों से जवाब तलब किया जाना चाहिए। यदि शीघ्र ही घाटों में पर्याप्त गंगाजल उपलब्ध नहीं कराया गया, तो तीर्थ पुरोहित आंदोलन छेड़ेंगे।
पंडित राजू जोशी और पंडित मोहन लाल गौड़ ने बताया कि इन घाटों पर साल भर देशभर से तीर्थ यात्री गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं, लेकिन वर्तमान में हालात इतने खराब हैं कि श्रद्धालुओं को लौटना पड़ रहा है। इससे हरिद्वार की धार्मिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंच रही है।
यूपी सिंचाई विभाग पर गंभीर आरोप
गंगाजल की अनुपलब्धता के पीछे स्थानीय लोगों ने यूपी सिंचाई विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। महानगर व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सुनील सेठी के नेतृत्व में स्थानीय निवासियों, व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों ने सर्वानंद घाट पर प्रदर्शन कर विरोध जताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी सिंचाई विभाग द्वारा गंगा की अविरलता में जानबूझकर छेड़छाड़ की जा रही है, जिससे करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ हो रहा है।
सेठी ने यह भी कहा कि गंगा में अब इतनी गंदगी है कि श्रद्धालु स्नान करना तो दूर, देखने से भी परहेज कर रहे हैं। विभाग की उदासीनता न सिर्फ तीर्थ यात्रियों के लिए परेशानी बन गई है, बल्कि स्थानीय व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
स्थानीय व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि उन्होंने इस विषय में कई बार विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायतें दीं, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। अब इस मामले की शिकायत उत्तराखंड के मुख्य सचिव और हरिद्वार जिला अधिकारी से भी की गई है। ज्ञापन के माध्यम से यूपी सिंचाई विभाग के गैर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
व्यापार मंडल का कहना है कि यदि जल्द ही इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया और घाटों में गंगाजल की व्यवस्था नहीं की गई, तो वह व्यापक आंदोलन करेंगे। उनका यह भी कहना है कि इससे तीर्थाटन पर आश्रित हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है।
हरिद्वार की गरिमा खतरे में
हरिद्वार सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। यहां हर साल करोड़ों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। गंगा को ‘मां’ का दर्जा प्राप्त है और उसकी अविरल धारा को जीवनदायिनी माना जाता है। ऐसे में अगर इसी पवित्र नदी का जल आचमन के लिए भी उपलब्ध न हो, तो यह एक राष्ट्रीय शर्म की बात है।
क्या हो सकती है समाधान की राह
1- सिंचाई विभाग की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए: यह आवश्यक है कि यूपी सिंचाई विभाग अपने कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाए और गंगा की धारा को अविरल बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए।
2- स्थायी जल प्रवाह की व्यवस्था हो: तकनीकी उपायों के जरिए हरिद्वार के घाटों तक हमेशा जल पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
3- स्थानीय प्रशासन का सक्रिय हस्तक्षेप: उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस गंभीर मुद्दे पर त्वरित और संवेदनशीलता से कदम उठाने होंगे।
4- जनसहभागिता से समाधान: तीर्थ पुरोहितों, स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों की भागीदारी से स्थायी समाधान की रणनीति बनाई जाए।