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समुद्र में डूबने की कगार पर खड़े हैं ये 5 देश, जलवायु परिवर्तन ने खड़ी की भयावह स्थिति

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) हर दिन और भी खतरनाक होता जा रहा है, जिससे कुछ राष्ट्रों के समुद्र में डूबने का सीधा खतरा पैदा हो गया है। बढ़ते समुद्र स्तर (Rising Sea Levels) ने घरों, जीवन और पूरी संस्कृतियों को खतरे में डाल दिया है। इस विनाश को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। आइए जानते हैं उन 5 देशों के बारे में जो इस समय सबसे अधिक खतरे में हैं और जल्द ही दुनिया के नक्शे से गायब हो सकते हैं।

1. तुवालू (Tuvalu) – सम्पूर्ण विस्थापन का सामना करने वाला पहला देश

(Photograph: Wikimedia commons)

तुवालू प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीप देश है, जहाँ लगभग 11,000 लोग रहते हैं। बढ़ते समुद्र स्तर ने इसे पूरी तरह से वर्ष 2050 तक समुद्र में डूबने की कगार पर पहुँचा दिया है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, तुवालू सरकार ने एक विशेष वीजा योजना के तहत अपने नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया जाने की व्यवस्था की है। यह जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी आबादी के विस्थापन की योजना बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। तुवालू की यह तस्वीर दुनिया के सामने एक डरावनी सच्चाई पेश करती है।

2. मालदीव (Maldives) – गायब होने की कगार पर खड़े द्वीप

(Photograph: Wikimedia commons)

मालदीव हिंद महासागर में सैकड़ों छोटे-छोटे द्वीपों से बना एक खूबसूरत देश है। लेकिन इसकी खूबसूरती पर बढ़ते समुद्र स्तर ने गहरा संकट खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2050 तक मालदीव का लगभग 80% हिस्सा पानी में समा सकता है। देश की सरकार जलवायु कार्रवाई पर कड़ी मेहनत कर रही है, जिसमें कृत्रिम द्वीप बनाना भी शामिल है, लेकिन प्रकृति के सामने ये चुनौतियाँ बहुत बड़ी हैं।

3. किरिबाती (Kiribati) – सिकुड़ता देश और बढ़ती भीड़

(Photograph: Wikimedia commons)

प्रशांत महासागर में स्थित किरिबाती हर साल अपनी जमीन को समुद्र में खो रहा है। पिछले कुछ दशकों में इसके कई द्वीप पानी में पूरी तरह से डूब चुके हैं। इस वजह से देश की आधी से अधिक आबादी अब सिर्फ एक ही द्वीप पर रहने को मजबूर है, जिससे वहाँ भीषण भीड़बाड़ और संसाधनों पर दबाव पैदा हो गया है। किरिबाती सरकार के पास लोगों को इस स्थिति के अनुकूल बनाने के लिए कार्यक्रम हैं और उसने जरूरत पड़ने पर नागरिकों को स्थानांतरित करने में मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया है।

4. मार्शल द्वीप (Marshall Islands) – अस्तित्व की लड़ाई

(Photograph: Wikimedia commons)

मार्शल द्वीप समूह अब लगातार समुद्री बाढ़ का सामना कर रहा है। बढ़ता पानी न सिर्फ लोगों के घरों को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि मीठे पानी के स्रोतों को भी दूषित कर रहा है, जिससे पीने के पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है। इस देश के नेता जलवायु परिवर्तन को अपनी सबसे बड़ी प्राथमिकता बना चुके हैं और अपनी आबादी को जबरन विस्थापन से बचाने के तरीके ढूंढ रहे हैं।

5. बांग्लादेश (Bangladesh) – तटीय बाढ़ और बढ़ते खतरे

(Photograph: Wikimedia commons)

बांग्लादेश एक विशाल देश है, लेकिन इसके निचले तटीय इलाके बढ़ती नदियों और समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण अक्सर बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। हैरान कर देने वाला आंकड़ा यह है कि लगभग 2 करोड़ (20 मिलियन) लोग सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में रहते हैं। यह बाढ़ उनके घरों, खेतों और सुरक्षा के लिए एक स्थायी खतरा बन गई है। बांग्लादेश सरकार बेहतर बाढ़ बाधाओं का निर्माण करने और समुदायों को पहले से चेतावनी देने की व्यवस्था विकसित करने पर काम कर रही है।

ये पांच देश जलवायु परिवर्तन के सबसे दर्दनाक परिणामों के लिए चेतावनी का संकेत हैं। यह सिर्फ उनके अस्तित्व का संकट नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक जगा देने वाला संदेश है। अगर ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और बढ़ते समुद्र स्तर पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो यह संकट और भी विस्तार पा सकता है। इन देशों की त्रासदी हमें यह याद दिलाती है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ कुछ देशों की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की है। तत्काल और ठोस कार्रवाई ही इन देशों और उनकी संस्कृतियों को विलुप्त होने से बचा सकती है।