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हल्द्वानी: आवारा पशुओं पर लगाम लगाने में नाकाम रहा जिला प्रशासन, बाइक सवार ढाबा संचालक की दर्दनाक मौत

सड़को पर आवारा जानवरों का तांडव अब जिंदगी छीनने का खेल बन चुका है! अब तो सड़क पार करना भी किसी जंग लड़ने से कम नहीं, क्योंकि न सिर्फ़ गाड़ियों से बचना है, बल्कि आवारा जानवरों की फ़ौज से भी जान बचानी है। और हाँ, प्रशासन से उम्मीद मत करना क्यूंकि उनकी नींद इतनी गहरी है कि जगाना नामुमकिन-सा लगता है। ताजा मामला मुखानी थाना क्षेत्र का है, जहां देर रात सड़क पर खड़े आवारा गौवंश से टकराकर एक युवक की मौत हो गई। 

हादसे का विवरण

मृतक की पहचान 28 वर्षीय अंकित किरौला पुत्र जसवंत किरौला निवासी जयपुर पाडली, लामाचौड़ के रूप में हुई है। मिली जानकारी के अनुसार, अंकित का लामाचौड़ क्षेत्र में एक ढाबा था और वह देर रात करीब 12:30 बजे ढाबा बंद कर बाइक से घर लौट रहा था। इसी दौरान ऊंचापुल-कुसुमखेड़ा रोड पर खड़े आवारा पशुओं के झुंड से उसकी बाइक टकरा गई। हादसे में अंकित गंभीर रूप से घायल हो गया। राहगीरों ने तत्परता दिखाते हुए उसे सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।घटना के बाद से मृतक के परिजनों में कोहराम मचा है। ग्राम प्रधान कमल पडलिया ने बताया कि अंकित का एक साल का बेटा भी है, और यह घटना पूरे गांव के लिए गहरी पीड़ा का कारण बन गई है।मुखानी थाना प्रभारी दिनेश जोशी ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। 

प्रशासन की लापरवाही उजागर

यह कोई पहला मामला नहीं है जब हल्द्वानी की सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण जानलेवा हादसा हुआ हो। शहर में आवारा सांड, गाय और कुत्तों का आतंक लंबे समय से लोगों के लिए खतरा बना हुआ है। सड़कों को चौड़ा करने और इंफ्रास्ट्रक्चर पर लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद, जिला प्रशासन आवारा पशुओं को नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। न तो गौशालाओं की व्यवस्था को प्रभावी बनाया गया है, और न ही सड़कों पर पशुओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन की यह उदासीनता अब लोगों की जान पर भारी पड़ रही है।