उत्तराखंड के जखोली से – कहते हैं, अगर जज्बा हो तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है. इस बात को सच कर दिखाया है पीएम राजकीय आदर्श इंटरमीडिएट कॉलेज पोंठी के 11वीं कक्षा के छात्र मयंक राणा ने सीमित संसाधनों और ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने के बावजूद मयंक ने विज्ञान के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से न केवल जनपद, बल्कि प्रदेश और देश का भी नाम रोशन किया है.
मयंक का चयन जापान के ‘सकुरा विज्ञान शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम’ के लिए हुआ है, जहां वे भारत के विभिन्न राज्यों से चयनित 53 प्रतिभाशाली छात्रों के साथ शैक्षणिक टूर पर जापान गए हैं. इस दौरान उन्होंने जापान की प्रमुख विज्ञान संस्थाओं और स्पेस एजेंसी का भ्रमण किया और वहां के वैज्ञानिकों व गणितज्ञों से संवाद भी किया.
भोजन माता की ममता और किसान पिता की मेहनत बनी ताकत
मयंक के पिता एक साधारण किसान हैं और उनकी माता गांव के प्राथमिक विद्यालय में भोजन माता के रूप में कार्यरत हैं. ऐसे में आर्थिक संसाधनों की सीमाएं होने के बावजूद मयंक की प्रतिभा ने हर रुकावट को पार कर दिखाया कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की ठान ली जाए तो रास्ता खुद बन जाता है.
‘इंस्पायर अवार्ड से लेकर जापान तक का सफर’
जिला समन्वयक इंस्पायर रमेश चन्द्र मैठाणी ने जानकारी देते हुए बताया कि मयंक ने भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा आयोजित इंस्पायर अवार्ड प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. जनपद और राज्य स्तर पर चयन के बाद मयंक ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में अपने इनोवेटिव आइडिया को प्रस्तुत किया. देशभर से चुने गए 350 नवाचारों में से मयंक के आइडिया को शीर्ष 31 में स्थान मिला और यहीं से उनका चयन जापान टूर के लिए हुआ.
गर्व की बात, प्रेरणा बना मयंक
मयंक के मार्गदर्शक शिक्षक पीयूष शर्मा ने कहा, “सुदूर गांव के एक छात्र का इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कार्यक्रम के लिए चयन होना पूरे जिले और राज्य के लिए गर्व की बात है. यह साबित करता है कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती.”
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने भी मयंक की उपलब्धि को प्रेरणादायक बताया और कहा कि मयंक राणा ने जापान में बिखेरा प्रतिभा का जलवा
इससे अन्य छात्र-छात्राएं भी विज्ञान और अन्य विषयों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.