भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तराखंड में अपने संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत करते हुए राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट को लगातार दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष चुना है। यह पहला मौका है जब उत्तराखंड बीजेपी के किसी प्रदेश अध्यक्ष को लगातार दूसरा कार्यकाल मिला है। देहरादून में पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित नामांकन प्रक्रिया में महेंद्र भट्ट ने एकमात्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया, जिसके बाद उनका निर्विरोध चुनाव तय हो गया।
नामांकन प्रक्रिया और औपचारिक घोषणा
30 जून 2025 को देहरादून स्थित बीजेपी प्रदेश कार्यालय में नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नियुक्त चुनाव पर्यवेक्षक और केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा की मौजूदगी में महेंद्र भट्ट ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सांसद, पूर्व मुख्यमंत्रियों और कई विधायकों ने उनके नामांकन का समर्थन किया। केवल एक नामांकन होने के कारण, मंगलवार, 01 जुलाई 2025 को औपचारिक घोषणा के साथ भट्ट को निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुना गया। यह घोषणा बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह द्वारा जारी एक पत्र के माध्यम से की गई।
महेंद्र भट्ट का सियासी सफर
महेंद्र भट्ट, जो गढ़वाल क्षेत्र के एक प्रमुख ब्राह्मण नेता हैं, ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की थी। 1991 में एबीवीपी के साथ जुड़ने के बाद, उन्होंने 1998 से 2000 तक अविभाजित उत्तर प्रदेश में उत्तरांचल युवा मोर्चा के राज्य सचिव के रूप में काम किया। उत्तराखंड के गठन के बाद, वे युवा मोर्चा के महासचिव बने और 2002 में नंदप्रयाग विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गए। 2017 में उन्होंने बद्रीनाथ सीट से जीत हासिल की, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र सिंह भंडारी से हार का सामना करना पड़ा।भट्ट का संगठन में लंबा अनुभव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से गहरा जुड़ाव उन्हें एक मजबूत संगठनात्मक नेता बनाता है। उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन और उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, जिस दौरान उन्होंने पौड़ी जेल में 15 और 5 दिन बिताए। 2012 से 2014 तक वे गढ़वाल क्षेत्र के बीजेपी संयोजक रहे, और 2015 से 2020 तक प्रदेश बीजेपी सचिव के रूप में कार्य किया।