उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण 113 वर्ष पुराना झूला पुल जल्द ही नई जान में सांस लेगा। ब्रिटिश काल में 1912 के आसपास निर्मित इस पुल के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार ने 1.80 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत कर दी है। यह कदम न केवल स्थानीय लोगों की लंबी मांग को पूरा करेगा, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित रखेगा।
यह पुल वर्ष 1912 के आसपास अंग्रेजी हुकूमत के समय बना था और तब से यह स्थानीय लोगों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही का प्रमुख साधन रहा है. 51 मीटर स्पान वाला यह पुल बागनाथ मंदिर, सरयू और गोमती संगम क्षेत्र को नगर से जोड़ने में अहम भूमिका निभाता है. यही वजह है कि इसे न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि व्यापार और पर्यटन की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.
पिछले कई वर्षों से पुल की हालत लगातार खराब होती जा रही थी. पुल की लकड़ी और लोहे के हिस्सों में जंग लगने और टूट-फूट बढ़ने से लोग यहां से गुजरने में डर महसूस करने लगे थे. स्थानीय निवासियों ने कई बार प्रशासन से पुल की मरम्मत और जीर्णोद्धार की मांग उठाई थी. आखिरकार शासन स्तर पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया कि धन उपलब्ध न होने के कारण इस काम को मिसिंग लिंक फंड से ही कराया जाएगा. इस निर्णय से न केवल नगर क्षेत्रवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी, बल्कि बागेश्वर जिले के पर्यटन को भी नई पहचान मिलेगी. बागनाथ मंदिर, उत्तरायणी मेले और सरयू-गोमती संगम स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु इस पुल से होकर गुजरते हैं. जीर्णोद्धार के बाद यह पुल सुरक्षित और आकर्षक रूप में लोगों के सामने आएगा. इससे पर्यटक भी यहां खिंचे चले आएंगे.