उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों को लेकर जारी विवाद पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। ग्राम पंचायत और नगर निकाय की दोनों मतदाता सूचियों में नाम शामिल होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति एक ही जगह से वोट डाल सकता है और चुनाव लड़ सकता है, लेकिन उसे मतदान के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। यह उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी सर्कुलर के अमल पर अस्थायी रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि वह चुनाव प्रक्रिया को बाधित नहीं करना चाहता, लेकिन मतदाता और प्रत्याशियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
क्या है मामला?
राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र भेजा था, जिसमें यह पूछा गया था कि जो लोग नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की वोटर लिस्ट में शामिल हैं, क्या उन्हें चुनाव लड़ने और वोट डालने की अनुमति दी जाए या नहीं। हालांकि, इस पर स्पष्ट जवाब किसी भी जिले से नहीं आया।
इस सर्कुलर के आधार पर कई प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिए गए, जबकि कुछ को स्वीकृति मिल गई, जिससे असमंजस की स्थिति बन गई।
दो धाराओं की टकराहट
याचिकाकर्ता शक्ति सिंह बर्त्वाल की ओर से कहा गया कि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) के अनुसार, एक व्यक्ति का नाम केवल एक वोटर लिस्ट में होना चाहिए। वहीं, आयोग ने जवाब में कहा कि धारा 9(13) यह कहती है कि यदि नाम दो जगह दर्ज है, तो उसे मतदाता सूची से नहीं हटाया जाना चाहिए।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
कोर्ट ने माना कि भले ही एक व्यक्ति का नाम दो सूचियों में दर्ज हो, लेकिन उसे वोट डालने और चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक कानूनी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं होती, तब तक निर्वाचन आयोग को इस संबंध में कोई कठोर निर्णय नहीं लेना चाहिए।