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उत्तराखंड में गुलदार का आतंक: द्वारीखाल ब्लॉक की दर्दनाक घटना

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के जंगलों में गुलदार का  खतरा अब गांवों के दरवाज़े तक पहुंच चुका है। गुलदार का खौफ एक बार फिर , ताज़ा मामला पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक से सामने आया है, जहां गुलदार ने खेत में बकरियां चरा रही एक महिला पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया।

यह दर्दनाक घटना रविवार शाम को ग्राम पंचायत जवाड़ के हलसी गांव में हुई। 34 वर्षीय लता देवी, पत्नी जयवीर सिंह, रोज की तरह घर के पास खेत में बकरियों को चरा रही थीं। लेकिन इस रोज़ उन्हें क्या मालूम था कि झाड़ियों में घात लगाए बैठा गुलदार उनकी जान का दुश्मन बन जाएगा।

चीख सुनकर दौड़े परिजनपर नहीं बचा सके जान

ग्राम पंचायत जवाड़ के पूर्व प्रधान राजेश ने बताया कि गुलदार ने अचानक झाड़ियों से निकलकर लता देवी पर हमला कर दिया। उनकी चीख-पुकार सुनकर पास ही मौजूद परिजन घटनास्थल की ओर भागे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लता देवी की गर्दन पर गहरे घाव के निशान पाए गए हैं। मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

दहशत का माहौलवन विभाग और प्रशासन अलर्ट

घटना की जानकारी मिलते ही पौखाल क्षेत्र के कानूनगो राकेश डबराल और पटवारी कांता प्रसाद गांव के लिए रवाना हो गए। वहीं, लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ आकाश गंगवार ने भी मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि वनकर्मियों की टीम को तत्काल मौके पर भेजा गया है और वे स्वयं भी गांव का दौरा करेंगे।

घटना के बाद जवाड़, बिस्ताना, कांडाखाल, बनाली, पल्ला, बिरमोली, बड़ेथ, सुंडल, उडियारी, दीवा सहित आसपास के कई गांवों में गहरा भय और असुरक्षा का माहौल है।

पहले भी हो चुके हैं हमले

गौरतलब है कि यह पहली घटना नहीं है। कुछ समय पहले ही एकेश्वर क्षेत्र में भी गुलदार ने एक व्यक्ति की जान ले ली थी। लगातार हो रही इन घटनाओं से साफ है कि गुलदार अब मानव बस्तियों की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया है।

वन विभाग पर उठ रहे सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग और प्रशासन को पहले ही ऐसी घटनाओं की आशंका को गंभीरता से लेना चाहिए था। अब जब जान चली गई है, तब जाकर टीमें भेजी जा रही हैं। स्थानीय निवासियों ने क्षेत्र में गुलदार के आतंक को देखते हुए पिंजरे लगानेनिगरानी बढ़ाने और प्रभावित क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने की मांग की है।



उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मानव-वन्यजीव संघर्ष अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है। प्रशासन और वन विभाग के लिए यह जरूरी है कि वे इन घटनाओं को महज आकस्मिक हादसे न मानें, बल्कि दीर्घकालिक समाधान पर काम करें। वरना गुलदार का ये साया गांव-गांव में डर बनकर घूमता जा रहा है ।