रुद्रपुर के मंच पर विकास के आंकड़े जितने मजबूत दिखे, उससे कहीं ज्यादा मजबूत दिखा धामी का राजनीतिक ग्राफ। और जब तारीफ करने वाला व्यक्ति अमित शाह हो, तो समझा जा सकता है कि भाजपा का अगला दांव भी तय हो चुका है।
रुद्रपुर में भले ही मंच निवेश उत्सव का था, लेकिन असली निवेश राजनीतिक था — और वह हुआ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिस आत्मीयता और खुले दिल से धामी की तारीफ की, वह केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक बड़ा सियासी संकेत भी था। शाह ने स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार धामी के पीछे मजबूती से खड़ी है — और शायद आने वाले वर्षों के लिए भी।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अमित शाह ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में यह स्पष्ट कर दिया है कि 2027 का विधानसभा चुनाव भी धामी की अगुआई में ही लड़ा जाएगा। यह वही धामी हैं जिन्हें 2021 में तब जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जब पार्टी लगातार नेतृत्व परिवर्तन से जूझ रही थी। और अब, वही धामी भाजपा के भरोसे की परिभाषा बन चुके हैं।
निवेश के पीछे सियासी निवेश?
निवेश उत्सव का उद्देश्य भले ही औद्योगिक विकास रहा हो, लेकिन इस आयोजन से यह संदेश भी गया कि धामी सरकार अब रिवर्स पलायन और रोज़गार सृजन जैसे बिंदुओं को केंद्र में रखकर आगे बढ़ रही है।
राज्य में 2023 के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हुए प्रस्तावों में से एक लाख करोड़ रुपये के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है। यह सिर्फ़ आंकड़ा नहीं, बल्कि धामी की कार्यक्षमता का प्रदर्शन है — और यह प्रदर्शन हाईकमान को भी दिख रहा है।