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धराली आपदा: लापता लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की केंद्र ने दी मंजूरी, 67 लोग अभी भी लापता

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली और हर्षिल क्षेत्र में आई भयानक आपदा ने एक बार फिर राज्य को हिला दिया है। पांच अगस्त को हुई इस आपदा में खीर गंगा घाटी में भारी मलबा आने से सब कुछ दफन हो गया था। 51 दिनों बाद भी 67 लापता लोगों का कोई सुराग नहीं लगा है। ऐसे में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने बड़ी राहत देते हुए लापता लोगों को मृत घोषित करने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की मंजूरी दे दी है।

इस फैसले से प्रभावित परिवारों को आपदा राहत के तहत आर्थिक सहायता मिल सकेगी। राज्य सरकार ने जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के मानकों में छूट के लिए गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था, जिसे महारजिस्ट्रार ने स्वीकृति प्रदान कर दी। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि उत्तरकाशी के उप जिलाधिकारी को अभिहित अधिकारी और जिलाधिकारी को अपीलीय अधिकारी नामित किया गया है। अब लापता व्यक्तियों का मृत्यु पंजीकरण संभव हो सकेगा

आपदा की भयावहता: 67 जिंदगियां अभी भी गुमशुदा

पांच अगस्त को धराली में बादल फटने और भारी भूस्खलन से खीर गंगा नाला उफान पर आ गया। मलबे और पानी की धारा ने घाटी को पूरी तरह तबाह कर दिया। होटल, ट्रेकिंग रूट्स और आवास सब मिट्टी में दब गए। बचाव टीमों की 51 दिनों तक चले अभियान के बावजूद 67 लोग लापता बने हुए हैं। ये ज्यादातर पर्यटक, ट्रेकर और स्थानीय निवासी थे, जो खीर गंगा के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आए थे।उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य में ऐसी आपदाएं आम हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित निर्माण इनकी प्रमुख वजहें हैं। हाल ही में पौड़ी गढ़वाल में हिमालयी आपदाओं को ध्यान में रखकर बनी इमारतों पर चर्चा हुई, जहां भूकंप प्रतिरोधी डिजाइन और मलबा प्रबंधन पर जोर दिया गया। राज्य सरकार को अब ऐसे मानकों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है।

उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य में ऐसी आपदाएं आम हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित निर्माण इनकी प्रमुख वजहें हैं। हाल ही में पौड़ी गढ़वाल में हिमालयी आपदाओं को ध्यान में रखकर बनी इमारतों पर चर्चा हुई, जहां भूकंप प्रतिरोधी डिजाइन और मलबा प्रबंधन पर जोर दिया गया। राज्य सरकार को अब ऐसे मानकों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है।